गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानियां
बी.कृष्णा
हर 18 महीने में पृथ्वी के किसी न किसी हिस्से में सूर्य ग्रहण लगता है. आठ अप्रैल को पड़ने वाले सूर्य ग्रहण को लेकर दुनिया भर के लोग उत्साहित हैं, क्योंकि उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्सों में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखेगा और चार मिनट नौ सेकंड तक पूरी तरह से अंधेरा रहेगा.
यह सूर्य ग्रहण कनाडा, उत्तरी अमेरिका से लेकर मैक्सिको तक दिखेगा.
नए वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल 2024 को है. यह पूर्ण सूर्य ग्रहण है, जो ज्योतिषिया तथ्यों के मुताबिक मोक्ष राशि मीन राशि और रेवती नक्षत्र में लगने वाला है.
वैज्ञानिकों के अनुसार यह वर्ष 2010 के बाद लगने वाला सबसे लम्बा सूर्य ग्रहण होगा| इक्कीसवीं सदी का एकलौता पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा जो पूर्णता में तीन देशों में देखा जायेगा, मेक्सिको, अमेरिका और कनाडा|
वर्ष का पहला सूर्यग्रहण भारतवर्ष में नहीं देखा जाएगा| परंतु इस खगोलीय घटना का आनंद NASA के YouTube चैनल के माध्यम से भारतवर्ष में रहने वाले व्यक्ति ले सकेंगे|
इस ग्रहण के ठीक एक दिन पहले अर्थात 7 अप्रैल को चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे नज़दीक होगा|
पूर्ण सूर्यग्रहण क्या है
सूर्यग्रहण पूर्णतः खगोलीय घटना है जो हर वर्ष घटित होता है|
पृथ्वी और सूर्य के बीच जब चन्द्रमा आ जाता है(तीनों एक सीध में आ जाते हैं) और इसकी वजह से पृथ्वी के एक हिस्से पर चन्द्रमा की छाया पड़ती है और पृथ्वी के उस भाग में अंधकार छा जाता है|| पूर्ण सूर्यग्रहण में सूर्य,चन्द्रमा के पीछे पूरी तरह से छुप जाता है|
ऋग्वेद, रामचरितमानस, वाल्मीकि रामायण, भगवद्गीता, ज्योतिषशास्त्र - इन सब में सूर्य ग्रहण की चर्चा की गयी है|
गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानियां
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर में ही रहे जाने की सलाह दी जाती है| उन्हें कहा जाता है कि अगर इस दौरान वे घर से बाहर निकलेंगी तो उनका बच्चा खंड तालु अर्थात कटी हुई तालु लेकर पैदा होगा| यह एक विचारणीय प्रश्न है कि सूर्य ग्रहण के दौरान जितने भी बच्चे होंगे क्या वे खंड तालु लेकर ही पैदा होंगे? इस कतहँ की सत्यता की जानकारी के लिए शोध किया जाना चाहिए|
ज्योतिष के अनुसार गर्भवती महिला के तीसरे महीने में पुंसवन संस्कार किया जाता है| गर्भस्थ शिशु के लिए यह माह बहुत संवेदनशील होता है| इस समय वैदिक मंत्रोच्चार के साथ साथ आहार परिवर्तन और औषधीय प्रयोग द्वारा गर्भस्थ शिशु का लिंग परवर्तित किया जा सकता है| विज्ञान भी इस बात को मानता है कि तीसरे महीने में गर्भस्थ शिशु का लिंग परिवर्तन किया जा सकता है|
चूँकि यह महीना इतना संवेदनशील होता है इसलिए वैसी महिलाएं जिनका तीसरा महीना चल रहा है गर्भ का, वे इस दौरान अपने खाने पीने की शुचिता का ध्यान रखें|
इसके साथ साथ कुछ अन्य बातों का भी ध्यान रखें
1 - किसी प्रकार की दुविधा में न रहकर आराम की स्थिति में रहे| घर के भीतर ही आराम से रहें| अपने पसंद का रुचिकर भोजन करें| संगीत सुनें| पेंटिंग करें या फिर अच्छी पुस्तक का पठन करें|
2 - मन को शांत रखें| प्रचलित मान्यताओं के आधार पर कही गयी बातों को सुनकर न घबराएं| इन मान्यताओं का कोई वैज्ञानिक या ज्योतिषीय आधार नहीं है| इसलिए इन बातों पर ध्यान न देते हुए आनंदित मन से इस खगोलीय घटना का लुत्फ़ उठाएं|
3 - घर के भीतर रहें खासकर वैसी गर्भवती महिलाएं जिनका की तीसरा माह चल रहा है| हालाँकि यह भी अभी प्रमाणित नहीं किया जा सका है परन्तु ज्योतिष और विज्ञान दोनों इसकी तरफ संकेत करते हैं|
4 - धारदार या नुकीली चीजों का प्रयोग न करें| कुछ जगह ऐसी मान्यता है कि ग्रहण के दौरान धारदार या नुकीली चीजों के प्रयोग से गर्भस्थ शिशु में शारीरिक विकलांगता आती है| हालाँकि इसका भी कोई शास्त्रीय या वैज्ञानिक आधार नहीं है लेकिन यदि आप मान्यताओं में अंध विश्वास रखती हैं तो ग्रहण के दौरान इनके प्रयोग से बचें|
5- सही तरह से पकाये हुए भोज्य पदार्थों पर पहले दूर्वा घास को रखें फिर भोजन करें| ऐसी मान्यता है कि दूर्वा घास में सूर्य की किरणों के रेडिएशन को समाप्त करने की क्षमता होती है|
6 - ग्रहण के पश्चात् स्नान करें|
सभी राशि के व्यक्तियों के द्वारा बरती जानेवाली सावधानियाँ-
1 - ग्रहण के दौरान सूर्य को सीधा देखने से बचिए| यह आपकी आँखों को नुकसान पहुंचा सकता है|
2 - ग्रहण के दौरान सूर्य की किरणों से त्वचा को कोई नुकसान न पहुंचे इसके लिए ग्रहण के दौरान घर से बाहर निकलते वक़्त शरीर को ढँक कर जाएँ|
3 - ग्रहण के दौरान यदि घर के बाहर हैं तो थोड़े थोड़े समयांतराल पर पानी पीते रहें|
4 - ग्रहण के पश्चात् स्नान करें|
यह एक खगोलीय घटना है
हर वर्ष कम से कम चार बार और अधिक से अधिक सात बार घटती ही हैं | इस वर्ष छह ग्रहण लगेंगे| 2011 में भी छह ग्रहण लगे थे |2013, 2018, 2019 में पांच ग्रहण लगा था| 1935 और 1982 में 7 ग्रहण लगा था| हर ग्रहण अपने साथ पंद्रह दिन आगे-पीछे दूसरे ग्रहण को लेकर आता ही है |
ग्रहण की बात होते ही राहु केतु का स्मरण होने लगता है, और इन्हें सर्प सदृश मानकर अपने भीतर खतरे की घंटी बजती सुनाई देने लगती है| ग्रहण से नहीं बल्कि सांप सी विचारों की वजह से बीमार हो जाते हैं या मृत्युपाश में चले जाते हैं| इससे भयभीत मत होइए| यह एक खगोलीय घटना है, इसे सम्पूर्णता और समग्रता में समझने का स्वयं ही प्रयास कीजिये|
दान दीजिये|सूर्य उपासना कीजिये|
आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ कीजिये|
ज्योतिषी, योग और अध्यात्मिक चिंतक