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विभिन्न सामूहिक चेतनाएं हैं, व्यापरियों की अपनी चेतना, वैज्ञानिकों की अपनी, काष्ठकर्मियों की अपनी। यह सभी चेतना की अंतर्वस्तु है, जो विचार की उपह है। विचार ने आश्यर्चजनक वस्तुओं का निर्माण किया है, कंप्यूटर की असाधारण तकनीकी से लेकर, दूरसंचार, यंत्रमानव, शल्यचिकित्सा तथा आषधिशास्त्र तक! विचार की उपज है। विचार ने धर्मों का अविष्कार किया है, विश्व—भर के सारे धार्मिक संगठन विचार की ही निर्मित हैं।