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बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और दिल्ली के शिक्षा विभाग सहित केंद्रीय हिंदी निदेशालय एवं विदेश मंत्रालय द्वारा वर्गीकृत मासिक पत्रिका के इस अंक में पढ़ें...नियति का अर्थ है पैतृकता की पहचान...कथाकार संजीव से बातचीत...मैंने नामवर से बातें की...सिनेमा में साहित्य और साहित्य में सिनेमा...पचहत्तर पर प्रेम जनमेजय...दुष्यंत के गांव में....एक आत्मकथा के बहाने कथाकार नफीस अफरीदी...रघुवीर सहाय: कुछ होगा और बोलूंगा...व्यंग्य धारा: जैसे किनके दिन फिरे...कथा—धारा: सब—वे, लकीर, काश! तुम समझ पाते...कालचक्र, कतरे हुए पंख, झूलते सवाल... काव्य धारा: रामदरश मिश्र की चार, अनिरूद्ध सिन्हा की छह, कासिम खुरशीद और ममता किरण की चार गजलें ...., नताशा की चार और उमाशंकर परमार की दो कविताएं...समालोचना...मैडम सर: न डिगने का संकल्प ...कविता पाठक आलोचना पर जेरे बहस...शिवनारयाण का आलेख हाशिये के समाज के लिए...