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88 सालों से प्रकाशित होने वाली आध्यात्मिक पत्रिका के इस अंक में पढ़ें...शाकाहार से दूर होते भारतीय...सबके लिए खुला है सच्चे सुख का द्वार...अध्यात्म पथ के नैष्ठिक आधार...मृतात्मा का अदृश्य सहयोग...आत्मबोध से परमानंद...यथा राजा तथा प्रजा....यज्ञोपवीत का मर्म..अंधकूप है यह संसार मात्र प्रभु ही करते परा...सर्वथा त्याज्य है मांसाहार...